Sunday, 8 December 2013

लोकतंत्र की हार ।

एक बार फिर लोकतंत्र हार की कगार पर है । हमारा देश जिसे धर्मनिरेपक्ष कहा जाता है , आज के चुनावी रुझानो को देखकर लगता है कि ये नाम सिर्फ नाम रह गया है , आज बहुसंख्यको ने बता दिया है कि इस देश मै अल्पसंख्यको के लिए कोई जगह नही हैँ । खुले आम अल्पसंख्यको को देश से भगाने की बात करने वाले दलो को आज चुनावो मै बहुमत मिल रही है । अब किस का लोकतंत्र पर भरोसा रहेगा , जहाँ बहुसंख्यक ही उन्है खत्म करने के सपने देखने वालो का साथ दे रहै हैँ ।

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