इन दिनों अमरीका व गुजरात आतंक के एजेण्टों के निशाने पर आंन्ध्र प्रदेश मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन के विधायक श्री अकबर उद्दीन ओवैसी हैं। अभी तक सोनिया गांधी नामक रिमोट से चलने वाली केन्द्र की आरएसएस एजेण्ट कांग्रेस बाहुल्य मनमोहन सिंह सरकार ने मुंह नहीं खोला है अभी सिर्फ आतंक एजेण्ट ही बन्दर कूदी भर रहे है लेकिन क्योंकि ये कूदिया मनमोहन सिंह सरकार को गदगद करने वाली है तो जल्दी ही सरकार भी मुस्लिम दुश्मनी की इस कूदियांे में शामिल होगी। दरअसल अकबर उददीन ओवैसी को साफ और सच बात करने की बीमारी है और अगर यह बीमारी किसी मुसलमान को हो तो यह हमारे महान देश के धर्मनिर्पेक्षता के लेबल में छिपे धार्मिक कानून को बर्दाश्त नहीं होता। हजारों की तादाद में मुसलमान आतंकियों का शिकार बने और इसकी निन्दा हो यह भी धर्मनिर्पेक्षता के लबादे में लिपटा धार्मिक कानून केसे बर्दाश्त करे। 2002 में गोधरा में मुसलमानों के खिलाफ बड़ी साजिश रचकर और फिर हिन्दुओं की भावनाओं को भड़काकर सूबे भी में सरकार व गैरसरकारी आतंकियों के हाथोें हजारों बेकसूर मासूम मुसलमानों का कत्लेआम कराया गया इसपर कानून गदगद होता रहा। और तो और मुसलमानों के कत्लेआम कराने वाले को सम्मान व पुरूस्कार देने के साथ साथ सिंहासन पर बने रहने का अभयदान भी दिया गया। इस मामले में राष्ट्रीय या अन्तराष्ट्रीय मानवाधिकार भी दुम दबाये नजर आये और न ही किसी भी सम्बन्धित न्यायालय ने इस मामले को स्वतः ही संज्ञान में लेने का कष्ट किया। साथ ही मीडिया के वे धड़े जो अमरीका व गुजरात पोषित हैं आतंकियों के हाथों किये जा रहे कत्लेआम को दबाने की कोशिश में लगे रहे और अगर कोई छोटी मोटी खबर लिखी भी तो उसे दंगे का नाम दिया और आजतक दंगा ही लिखा जा रहा है। कुछ दिन पहले की ही बात है कि बरमा व आसाम में आतंकी मुसलमानों का कत्लेआम कर रहे थे तब भी मीडिया के आतंक परस्त धड़े दुम दबाने में लगे रहे। विदेशी मीडिया के जरिये बरमा व आसाम में हो रहे आतंकी हमलों की खबरें गुलाम जनता तक पहुंची तो इसपर निन्दा और टिप्पणियां होना स्वभाविक था। बेकसूर मुसलमानों का कत्लेआम हो और उसकी कोई निन्दा करे यह आरएसएस एजेण्ट कांग्रेस की केन्द्र सरकार को कैसे गवारा होता। बरमा और आसाम में आतंकियों की करतूतों को कथित मीडिया धड़ों ने दबाये रखने के साथ साथ इसकी निन्दाओं को भी दबाने का प्रयास किया इस हालात में सोशल नेटवर्किंग साईटें ही एक इकलौता जरिया थी अपनी बात को समाज दुनिया तक पहुंचाने का। लोगों ने फेसबुक समेत कई सोशल नेटवर्किंग साईटों पर अपनी निन्दा व अफसोस दुनिया तक पहुंचाया, मुसलमानों के कत्लेआम पर निन्दायें कांग्रेस की सरकार कैसे बर्दाश्त करती। सबसे पहले प्रधानमंत्री को ही मुस्लिम पक्ष में हो रही निन्दाओं से तकलीफ पहुंची, प्रधानमंत्री ने फेसबुक समेत उन सभी सोशल मीडिया साईटों को बन्द करने की बात कहने के साथ कोशिश भी की। एक कहावत है कि " बड़ें मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां सुबान अल्लाह" यह कहावत सार्थक करी केन्द्रीय गृह सचिव ने। गृह सचिव ने तो आवेश में आकर बड़ा ही अजीब और गैर जिम्मेदाराना बयान देते हुए कह दिया था कि " यह पाकिस्तानी साजिश है " यानी गृहसचिव ने बरमा ओर आसाम के कत्लेआम को ही झुठलाने की कोशिश की लेकिन उनकी बदकिस्मती से उसी दिन " बीबीसी " आसाम आतंकियों की एक और दिल दहला देने वाली करतूत उजागर कर दी। (देखें anyayvivechaknews.blogspot.in पर 25 अगस्त 2012 का "क्या यह भी पाकिस्तानी साजिश है गृहसचिव जी" हमारा लेख) मुस्लिम कत्लेआम की खबरों को सोशल नेटवर्किंग साईटों पर दौड़ना आरएसएस एजेण्ट कांग्रेस की केन्द सरकार को इतना चुभा कि इन साईटों को बन्द करने के लिए भी हाथ पैर फेंके लेकिन गुजरे तीन महीने से उसी फेसबुक पर अमरीका व गुजरात आतंकी एजेण्टों ने मीडिया से जुड़े नामों से अकाउण्ट बनाकर रोज मुसलमानों और इस्लाम के खिलाफ अपने गन्दे खून की पहचान कराने के साथ साथ मुसलमानों के खिलाफ हिन्दू समाज को बड़े ही घृणित शब्दों में भड़काने में लगें है लेकिन यह बात तीन महीने से भी ज्यादा अर्सा गुजर जाने के बावजूद न तो हमारे प्रधानमंत्री को चुभी और न ही इसमें गृहसचिव को कोई साजिश दिख रही। आज आन्ध्र प्रदेश के विधायक श्री अकबर उददीन ओवेसी ने जरा सी बात कहदी वह भी सही बात उसमें कोई भड़काऊ बात नहीं थी तो उसपर सब ही कूदियां मारने लगे, बेवजह की खुराफात पैदा की जा रही है कोई अदालत जा रहा है तो कोई पुलिस थाने। समझ में नहीं आ रहा कि ऐसा कया तूफान आ गया ओवैसी के बयान से ? भड़काने का काम तो देश में लगभग सभी करते है गुजरात में तो भड़काकर मुसलमानों का कत्लेआम तक कराया गया उस समय किसी को तकलीफ नही हुई क्योंकि मोदी, ठाकरे, उमाभारती, अशोक सिंघल समेत सभी विहिप, संघ, आरएसएस केलोग हैं और उससे भी बड़ी बात यह है कि ये सारे ही मुसलमान नहीं हैं और इन्होंने मुसलमानों के खिलाफ भड़काया और गुजरात में तो मुसलमानों पर आतंकी हमले तक करा दिये गये। इनके खिलाफ किसी की जुर्रत नहीं हुई कि अदालत जाये या पुलिस में जाता। कयोंकि ओवैसी मुसलमान हैं तो उनकी बात को ही भड़काऊ भाषण के नाम से बदनाम किया जा रहा है। ऊधर मीडिया के अमरीका व गुजरात पोषित धड़े ओवैसी के खिलाफ माहोल तैयार करने में जुट गये हैं।
जहां तक ओवैसी के भाषण को भड़काऊ कहे जाने की बात तो उन्होंने न तो अपने भाषण में मुसलमानों को दूसरों को कत्लेआम करने के लिए भड़काया जैसे कि मोदी ने किया था और न ही देश को बर्बाद करने की धमकियां दी जैसे कि बाल ठाकरे ने हमेशा दीं। ओवैसी ने तो सिर्फ एक बात कही वह भी देश के कानून और सरकारों की कारगुजारियों को खोला, ओवैसी ने किसी को भड़काने की बात नहीं की न ही "देश बर्बाद हो जायेगा" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जैसे कि दूसरे हमेशा करते रहे हैं और आज भी कर रहे हैं। ओवैसी ने किसी धर्म के लिए अपमानित शब्दों का प्रयोग भी नहीं किया जैसा कि फेसबुक पर कुछ आतंकी मुसलमान ओर इस्लाम के लिए कर रहे हैं। चलिये मान लेते हैं कि ओवैसी ने भड़काने की कोशिश की तो ठीक है ओवैसी के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिये लेकिन उससे पहले उन सभी के खिलाफ भी ऐसी ही कार्यवाही करनी होगी जो हमेशा से ही लोगों को मुसलमानों के खिलाफ भड़काते रहे हैं और मोदी के खिलाफ तो भड़काकर तीन हजार से ज्यादा बेकसूर अमन पसन्द शरीफ लोगों की हत्या का भी मामला चलाना होगा। हम अच्छी तरह जानते है कि इतनी दम किसी भी माई के लाल में नहीं। इनकी सारी ताकत और नेतागीरी और कानून सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ ही बोलने और साजिशें करने तक सीमित है। और कम से कम केन्द्र में सोनिया रिमोट से चलने वाली आरएसएस के दूसरे रूप कांग्रेस की सरकार है। याद दिलादें कि हम उसी मनमोहन सिंह सरकार की बात कर रहे हैं जिसने तीन हजार से ज्यादा बेकसूर मुसलमानों के कत्लेआम पर खुश होकर गुजरात आतंक के मास्टर माइण्ड को सम्मान व पुरूस्कार दिया था और आजतक अभयदान बादस्तूर जारी है।
जहां तक ओवैसी के भाषण को भड़काऊ कहे जाने की बात तो उन्होंने न तो अपने भाषण में मुसलमानों को दूसरों को कत्लेआम करने के लिए भड़काया जैसे कि मोदी ने किया था और न ही देश को बर्बाद करने की धमकियां दी जैसे कि बाल ठाकरे ने हमेशा दीं। ओवैसी ने तो सिर्फ एक बात कही वह भी देश के कानून और सरकारों की कारगुजारियों को खोला, ओवैसी ने किसी को भड़काने की बात नहीं की न ही "देश बर्बाद हो जायेगा" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जैसे कि दूसरे हमेशा करते रहे हैं और आज भी कर रहे हैं। ओवैसी ने किसी धर्म के लिए अपमानित शब्दों का प्रयोग भी नहीं किया जैसा कि फेसबुक पर कुछ आतंकी मुसलमान ओर इस्लाम के लिए कर रहे हैं। चलिये मान लेते हैं कि ओवैसी ने भड़काने की कोशिश की तो ठीक है ओवैसी के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिये लेकिन उससे पहले उन सभी के खिलाफ भी ऐसी ही कार्यवाही करनी होगी जो हमेशा से ही लोगों को मुसलमानों के खिलाफ भड़काते रहे हैं और मोदी के खिलाफ तो भड़काकर तीन हजार से ज्यादा बेकसूर अमन पसन्द शरीफ लोगों की हत्या का भी मामला चलाना होगा। हम अच्छी तरह जानते है कि इतनी दम किसी भी माई के लाल में नहीं। इनकी सारी ताकत और नेतागीरी और कानून सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ ही बोलने और साजिशें करने तक सीमित है। और कम से कम केन्द्र में सोनिया रिमोट से चलने वाली आरएसएस के दूसरे रूप कांग्रेस की सरकार है। याद दिलादें कि हम उसी मनमोहन सिंह सरकार की बात कर रहे हैं जिसने तीन हजार से ज्यादा बेकसूर मुसलमानों के कत्लेआम पर खुश होकर गुजरात आतंक के मास्टर माइण्ड को सम्मान व पुरूस्कार दिया था और आजतक अभयदान बादस्तूर जारी है।
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