Monday, 25 November 2013

Ahmedi Nejaad S Sikhe Indian Politicians ?

ईरान के पूर्व राष्ट्रपति अहमदी निजाद ने अपने दौर मे जिस सादगी,किफायत और कुशल तरीके से मुल्क को चलाया है ये विशव के सभी देशो खास तौर से इस्लामी मुल्को के रहनुमाओ के लिये रोल-मॉडेल की हैसियत रखता है. अहमदी निजाद ने बड़े बड़े कारनामे अंजाम दिये. अमेरिका की तरफ से लगाई गयी पाबंदियो का सामना जिस तरह किया वो एक मिसाल है. अहमदी निजाद एक गरीब घर मे पैदा हुए थे उन के पिता लोहार थे , मगर उन्हो ने शिक्षा जारी रखी और ट्रांसपोर्ट मे उन्हो ने पी . एच . डी की. मनसिपल कमिशनर से राजनीति पारी शुरु की और ईरान के राष्ट्रपति बन गये.

अहमदी निजाद जब राष्ट्रपति का पोस्ट संभाला तब दुनिया के सामने उनकी सादगी,सभ्य, विनम्रता दुनिया के सामने आई. राष्ट्रपति बनने के बाद उन्हो ने सब से पहले ऑर्डर जारी किया के राष्ट्रपति भवन मे सादगी अपनायी जाये. महीने का करोड़ो का बजट राष्ट्रपति भवन का था उस मे 80% कटौती कर दी. महंगे कालीन, फर्निचर को हटा दिया गया. इन से पहले स्पेशल जहाज राष्ट्रपति के लिये होता था विदेसी दौरे के लिये. अहमदी निजाद ने उसे ईरान एरलाइन को दे दिया खुद और अपने मंत्रियो को ऑर्डर दिया के के वी आम एरलाइन मे सफर करे. विदेशी दौरे के लिये भरी-भड्कम भीड़ को खत्म कर दिया, जितने लोगो की जरूरत है उतने ही लोग जाये गे. सरकारी दौरे मे परिवार को नही ले जा सकते थे. अहमदी निजाद ने अपनी सुरक्षा मे भी कमी कर दी. जब वी राष्ट्रपति बने तो उन्हो ने अपने पूँजी की छोषणा की उन के पास एक 40 साल पुराना टूटा-फूटा मकान, 30 साल पुरानी कार और बैंक बैंक खाते ज़ीरो बॅलेन्स है उस मे उन को वही पैसे आते है जो उन के प्रोफेसर की सॅलरी है जो के 250 अमेरिकी डॉलर है. वी अपने काम के लिये कभी भी सरकारी गाड़ी का इस्तमाल नही किया. वी अपने पुराने मकान मे ही रहना चाहते थे मगर सेक्यूरिटी ने उन्हे माना कर दिया के आप की सुरक्षा इस घर मे नही हो सकती आप को राष्ट्रपति भवन मे ही रहना होगा.

अहमदी निजाद ने कभी भी सरकारी खाना नही खाया वी अपनी पत्नी के हाथ का बना हुआ खाना खाते थे. दुनिया उस समय देख कर हैरत मे रह गयी जब उन्हो ने अपने बच्चो की शादी बहुत ही सादे अंदाज मे की मेहमानो का स्वागत सिर्फ फूल के गुलदस्ते से किया गया , खाने-पीने का कोई इंतजाम नही था. राष्ट्रपति बनने से पहले वी यूनिवर्सिटी मे प्रोफेसर थे , उस के बाद भी वी यूनिवर्सिटी पड़ने जाते थे सिर्फ वो प्रोफेस्सेर् की ही तन्खवह लेते थे, राष्ट्रपति ओहदे का तन्खवह नही लेते थे. आप एई धयन मे रखिये के वी इरान जैसे मुल्क के राष्ट्रपति थे जहा तेल का भंडार है.

अब देखिये अपने मुल्क के राजनेताओ को खुद को गरीब मुल्क के गरीब जनता का लीडर बताते है मगर बादशाहो की तरह जिंदगी बिताते है. अमीर नेता और अमीर होता जाता है और जो गरीब नेता आते है वी भी कुछ दिनो मे करोड़पति हो जाता है. हमारे राजनेताओ को अहमदी निजाद से सीख लेनी चाहिये के किस तरह सादगी से हुकूमत की जाती है.

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