ब्रिटेन में तलाक और हलालह समस्या बहुत गंभीर हो गया है और पति से तीन तलाक पाने वाली महिलाएं इस समस्या को हल करने के लिए जब कुछ मौलवियों के पास जाती हैं हलालह के नाम पर उनसे अपनी इज्जत लिटा बैठती हैं . हलालह के लिए एक रात की दुल्हन बनने वाली महिलाएं अपने घरों में सम्मान प्रतिष्ठा खो बैठती हैं और अक्सर मानसिक रोगों का शिकार हो जाती हैं , लंदन , बर्मिंघम , ब्रैडफोर्ड सहित कई शहरों में गुप्त हलालह केंद्र स्थापित हो जो के कारण महिलाओं अपमान गंभीर समस्या बन गई , उनके हलालह केंद्र में महिलाओं की मजबूरी का फायदा उठाया जाता है , हजारों घर उजड़ गए , लेकिन वास्तविक विद्वानों यह निंदा करते हैं . इस संबंध में लंदन की ओर से जाने वाली एक शोध में सनसनीखेज खुलासे हुए हैं . युद्ध ब्रिटेन में हलालह के नाम पर पाकिस्तानी और अन्य मुस्लिम महिलाओं का अपमान को लेकर जिन विद्वानों से संपर्क किया और उनसे पुष्टि चाही तो लगभग सभी इस बात पर सहमत हुए कि हलालह के नाम पर मुसलमान महिलाओं अपमान किया जा रहा है . हालांकि उलमा और वास्तविक मौलवी इस समस्या को इसलिए उजागर नहीं कर रहे कि सारी मुस्लिम समुदाय ज्यादा बदनाम होगी जो पहले से ही बाल सेक्स गरोमनग और अन्य मामलों की वजह से बहुत खराब हालात से गुजर रही है .
रिसर्च के अनुसार कुछ तथाकथित मौलवियों ने लंदन , बर्मिंघम , ब्रैडफोर्ड और कुछ अन्य शहरों में गुप्त रूप से हलालह केंद्र स्थापित किए गए हैं जिनमें सलाह के लिए आने वाले लोगों को गुमराह किया जाता है . पुरुषों के साथ आने वाली महिलाओं को भी यह कहकर गुमराह किया जाता है कि उनकी अपने पति से तलाक हो चुका है . इसलिए वह अब अपने पति के पास उस समय तक वापस नहीं जा सकती जब तक उनका निकाह किसी अन्य व्यक्ति के साथ न हो और वह नियमित रूप एक रात के लिए किसी और दुल्हन न बन जाएं . उस पर कई कई बच्चों की मां और उनके वे पति सख्त परेशान होते हैं जो अपने गुस्से में आकर एक साथ तीन तलाक दे चुके हैं . दोनों पुरुष और महिला अपने बच्चों कारण अपना घर बर्बाद नहीं करना चाहते और धार्मिक आदेशों का भी प्रतिबंध करना चाहते हैं . कुछ मौलवी उनके मुसलमान और सरल महिला की कमजोरी का अवैध लाभ उठाते हैं और उन्हें हलालह कराने की सलाह देते हैं . जब उन्हें बताया जाता है इससे उनकी बदनामी होगी . जाहिर है कि जब एक औरत एक रात के लिए किसी और के साथ रहेगी तो वह उसे बाद में ब्लैकमेल भी कर सकता है . इसलिए तथाकथित मौलवी इन महिलाओं को सलाह देते हैं कि वे उनके साथ एक रात के लिए हलालह लें . कई बार इन मौलवियों और महिलाओं के पति के बीच मौखिक रूप से यह समझौता होता है कि वह हलालह के बाद अपनी पत्नी को सुबह वापस ले जाएंगे . यह मौलवी जब महिला के साथ शादी कर लेते हैं तो उनमें से कुछ उन पर अपना अधिकार जताने लगते हैं और तलाक देने से इनकार कर देते हैं . उन्हें जब उनके अनुबंध की याद दिलाई जाती है तो वह महिलाओं के पूर्व पति से भारी मात्रा की मांग करते हैं . जबकि कुछ मौलवी केवल अपनी यौन संतोष के लिए महिलाओं को कई कई दिन अपने पास रखते हैं . पर जब महिला मौलवी से हलालह करने के बाद वापस अपने पति के पास जाती है तो दोनों के संबंध खराब हो जाते हैं और वे अन्य पुरुषों के साथ बिताए जाने वाले दिनों की गणना तक मांगते हैं . पर मजबूर महिलाएं अपने बच्चों की वजह से पुरुषों के साथ बिताया करती हैं और कुछ मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाती हैं.
यह भी पता चला है कि खुफिया हलालह केंद्र यह तथाकथित मौलवी हमेशा हलालह के शिकार की तलाश में रहते हैं और इनमें कुछ एक दूसरे को हलालह उपहार के रूप में प्रस्तुत करते हैं . पता चला है कि यह खुफिया केंद्र कुछ मदरसों और कुछ मौलवियों ने अपने घरों में भी खोल रखे हैं . उन लोगों के साथ संपर्क हैं और वह नियमित अपने एजेंट समुदायों के भीतर छोड़े होते हैं जो मजबूर और बेबस लोगों को उनके पास लाते हैं . अगर महिलाएं हलालह पर तैयार हो तो उनमें से कुछ को उनके एजेंटों को उपहार में दे दिया जाता है .अहले हदीस के शफीक रहमान का कहना है कि अगर समस्या को हल नहीं निकाला गया तो यह जहर धीरे धीरे सारी मुस्लिम समुदाय के भीतर फैल जाएगा और हलालह जैसी व्यभिचार को धर्म का हिस्सा बना दिया जाएगा . उन्होंने बताया कि वह एक लंबे समय से गैर शरई प्रक्रिया के खिलाफ अभियान चला रहे हैं और हमेशा लोगों को इस तरह के गैर शरई गतिविधि से दूर रहने की हिदायत देते हैं . उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि हलालह के नाम पर महिलाओं का यौन शोषण किया जा रहा है .
जैसा के हम सभी जानते है के इस्लाम मे तलाक़ को ही सब से बुरा समझा जाता है. अल्लाह के नजदीक तलाक़ को हलाल क़रार देते हुए भी इसे बुरा माना गया है. इस्लाम मे हललाह के बारे मे कही कुछ नही मिलता, मगर कुछ नक़ली और तत्काथित मौलानो ने हललाह को धार्मिक रूप दे कर औरतो का शारीरिक शोषण करते है और धर्म का डर देखा के अपनी हवस को पूरा करते है. अब समय है के सभी उलेमाओ को सामने आ कर जो धर्म के नाम पे अधर्म हो रहा है उसे रोकना चाहिये.अगर मुसलमान क़ुरान के बताये अनुसार तलाक़ दे तो उमीद है के 95% तलाक़ हो गा ही नही.मुसलमानो को चाहिये के क़ुरान पड़े और समझे.
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