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Thursday, 28 November 2013
आखिर एक मशहूर वैज्ञानिक मुसलमान कैसे हो गया ?
(अंतरिक्ष
वैज्ञानिक( मिस्टर नील आम्र स्ट्रांग) और दाऊद
मूसा बिदकोक, मुसलमान क्यों बन
गए थे ?) किया
आप जानते हें,/ क़ुरआन की सत्यता को सिद्ध
करने के लिए क़ुरआन का यह
प्रमाण भी काफी है
कि मुहम्मद सल्ल0 के एक संकेत पर
चाँद दो टूकड़े हो गए। हुआ यूं
कि एक बार मक्का के
सरदारों ने मुहम्मद सल्ल0 के
पैगम्बर होने का प्रमाण
माँगा औऱ कहा कि यदि तूने
चाँद को दो टूकड़े कर
दिया तो हम तुझे दूत मान लेंगे।
जब आपने चाँद की ओर
ऊंगली उठाई तो आपके संकेत से
चाँद दो टुकड़े हो गए। इस
घटना को क़ुरआन ने यूं बयान
किया हैः “वह घड़ी निकट आ
गई और चाँद फट गया”।(सूरः अल
क़मर54-1)
सम्भव है कि आज के इस आधुनिक
युग में इस तथ्य पर विश्वास करने
में किसी को संकोच हो लेकिन
इसका क्या करेंगे
जबकि विज्ञान ने इसे
प्रमाणित कर दिया हो।
आप यह अवश्य जानते होंगे
कि 20 जनवरी 1969 ईसवी में
मिस्टर नील आम्र-स्ट्रांग और
उनके सहयोगी चाँद पर चढ़े थे
परन्तु यह बात बहुत कम लोग
जानते हैं कि इन अंतरिक्ष
वैज्ञानिकों ने चौदह सौ वर्ष
पूर्व चर्चित तथ्य को सिद्ध कर
के संसार को आश्चर्यचकित कर
दिया। आइए हम
आपको वैज्ञानिकों की गवाही
सुनाते हैं।
पश्चिमी लन्दन के एक मेडिकल
कालेज में एक मुसलमान विद्वान
चाँद फटने के विषय पर भाषण दे
रहे थे, उसी बीच एक अंग्रेज़ स्टेज
पर उपस्थित हुआ और मान्य
विद्वान से इस विषय पर कुछ
कहने की अनुमति चाही।
अनुमति मिलने पर उसने कहना शुरू
किया कि मेरा नाम दाऊद
मूसा बिदकोक है, मैं मुसलमान हूं
तथा अमेरीकी इस्लामी संघ
का अध्यक्ष भी हूं। सूरः क़मर
की प्राथमिक आयतें मेरे इस्लाम
लाने का कारण बनी हैं। एक
बार मुझे मेरे एक मुसलमान मित्र
ने क़ुरआन करीम की एक
प्रति दी। मैंने उसे घर ले जा कर
पढ़ना शुरू किया तो सब से पहले
मेरी नज़र इसी आयत पर पड़ी,
अनुवाद पढ़ते ही मुझे बहुत आश्चर्य
हुआ, मैंने सोचा कि यह कैसे
सम्भव होगा कि चाँद दो टूकड़े
हो कर फिर परस्पर मिल जाए।
उसी समय मैंने अनुदित क़ुरआन
को बन्द कर के रख दिया और
दोबारा खोल कर देखा तक
नहीं।
1978 ईसवी की बात है, मैं एक
दिन टेलिविज़न पर
बी बी सी की एक वार्ता सुन
रहा था, यह वार्ता प्रोग्रामर
और तीन अंतरिक्ष
वैज्ञानिकों के बीच
हो रही थी। वैज्ञानिकों ने
जब प्रोग्रामर जेम्स बीरक
को बताया कि पहली बार
चाँद पर चढ़ने में एक लाख
मिलियन डालर का खर्च
आया था तो प्रोग्रामर इसे
सुनकर आश्चर्यचकित
हो गया और कहने लगा कि यह
क्या मूर्खता है कि एक लाख
मिलियन डालर मात्र इस लिए
खर्च किया जाए
कि अमेरिकी विज्ञान
को चाँद के स्तर तक
पहुंचाया जा सके, जबकि आज
पृथ्वी पर लाखों लोग खूके मर
रहे हैं। उन्होंने उत्तर
दिया कि हम
अमेरीकी विज्ञान को चाँद के
स्तर तक पहुंचाने नहीं गए थे
बल्कि हम चाँद की आंतरिक
बनावट का परिक्षण कर रहे थे
उसी बीच ऐसे तथ्य
का पता चला जिसके सम्बन्ध में
संतुष्ट करने के लिए चाँद
की लागत से दोबारा माल
भी खर्च करते तो हमारा कोई
समर्थन न करता।
प्रोग्रामर ने पूछाः यह तथ्य
क्या है ? उन्होंने उत्तर
दियाः हमने
पाया कि किसी दिन यह
चाँद टूट गया था फिर परस्पर
मिल गया।
दाऊद मूसा बिदकूक कहते हैं
कि इस खोज को सुन कर मैं जिस
कुर्सी पर बैठा था उस से तुरंत
कूद पड़ा और मेरे मुंह से यह बात
निकल पड़ी कि यह चमत्कार
तो वही है जो चौदह सौ वर्ष
पूर्व मुहम्मद सल्ल0 के हाथ पर
प्रकट हुआ था, आज
अमेरीकी वैज्ञानिकों ने इस
तथ्य को सिद्ध कर दिया…. मैं
एक बार फिर अनुदित क़ुरआन
को ध्यानपूर्वक पढ़ना आरम्भ
किया। अन्ततः मुझ पर
मूक्ति मार्ग स्पष्ट हो गया और
मैंने तुरन्त इस्लाम स्वीकार कर
लिया।
दाऊद मूसा बिदकोक के
इस्लाम स्वीकार करने
की कहानी निःसंदेह
आश्चर्यचकित है परन्तु चाँद
की धरती को अपने पैरों से
रोंदने वाले मिस्टर नील आम्र-
स्ट्राँग के मुसलमान होने
की कहानी उस से अधिक
आश्चर्यचकित है। जब वह चाँद के
स्तर पर पहुंचे तो एक मधूर आवाज़
उनके कान से टकड़ाई। उनके दिल
में यह आवाज़ सुनने की तड़प
मचलती रही। पूरे तीस वर्षों के
पश्चात वह समय
आया जिसकी प्रतीक्षा उनको
एक ज़माने से थी। एक दिन
दोपहर के समय मनोरंजन हेतु अपने
साथियों के साथ एक
विचित्रालय में पहुंचे। निकट
की मस्जिद से अज़ान
की आवाज़ सुनाई दी। तीस
वर्ष पूर्व का यह क्षण याद आ
जाता है जब वह चाँद की सतह
पर उतरे थे और वहाँ पर
यही आवाज़ सुनी थी तब उन्हें
पता चला कि यह अज़ान
की आवाज़ है जो पाँच समय
की नमाज़ों के लिए
दी जाती है तो उनका हृदय
आश्चर्यचकित रह गया और
उन्होंने इस्लाम के सम्बन्ध में
जानकारी प्राप्त की यहाँ तक
कि इस्लाम को गले से
लगा लिया।
मिस्टर नील आम्र स्ट्रांग ने
इस्लाम तो स्वीकार कर
लिया लेकिन
उनको इसकी बड़ी भारी क़ीमत
चुकानी पड़ी। कुछ ही समय
बीते थे कि अमेरीकी अंतरिक्ष
एजेंसी नासा की ओर से
उनको एक पत्र मिला जो उनके
सर्विस त्याग का आदेशपत्र
था। उनकी सर्विस तो समाप्त
हो गई परन्तु उन्होंने इसकी कोई
परवाह न की बल्कि इन शब्दों में
इसका उत्तर
दिया “मेरी सर्विस
तो समाप्त हो गई परन्तु मैंने अपने
अल्लाह को पा लिया ।
मेवाती ।
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