Monday, 25 November 2013

Allah ?

मलेशिया मे एक अदालत ने अपने फैसले मे कहा है के गैर मुस्लिम भगवान के लिये शब्द ' अल्लाह'' का उपयोग नही कर सकते. अदालत ने फैसले मे कहा के गैर मुस्लिमो को शब्द अल्ल्लाह के उपयोग की अनुमति देने से समाज और मुल्क मे अराजकता फेल  सकता है.ईसाइयो का कहना है के मलाई भाषा मे गॉड की जगह वे अल्लाह शब्द का प्रयोग करती आ रही है और ऐसे फैसला उन के अघिकार का हनन है.

यह मामला तब सामने आया था जब एक मिलान भाषा का अखबार ईसाई भगवान के बारे में चर्चा करते हुए अल्लाह ' शब्द का इस्तेमाल किया था,तब मलेशिया सरकार ने कॅथोलिक ईसाइयो को अल्लाह शब्द के इस्तमाल पर रोक लगा दी.इस पर अखबार ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जहां से दिसंबर 2009 में इसके पक्ष में फैसला हुआ  जिसके बाद देश में धार्मिक तनाव बढ़ा था और कई चर्चों और मस्जिदों पर हमले भी किए गए थे . जिसके खिलाफ सरकार ने उच्च न्यायालय में अपील कर दी थी .

2009 के केस को अपील का फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश मोहॅमेड इयादी कहा कि अल्लाह शब्द का उपयोग ईसाई धर्म का मुख्य हिस्सा नहीं है और न उन के धर्म मे इस शब्द का इस्तमाल हुआ, इस लिये अब गैर मुस्लिम ' अल्लाह शब्द का इस्तमाल नही कर सकते.कैथोलिक अखबार के संपादक रयूरंड लॉरेंस एंड्रयू का कहना है कि वह इस फैसले से निराश हैं और इसके खिलाफ अपील करेंगे . उन्होंने कहा कि यह धार्मिक अल्पसंख्यकों की बुनियादी स्वतंत्रता के संदर्भ में कानून में पीछे की ओर उठने वाला कदम है . '

अखबार के समर्थकों का कहना है कि मिलान भाषा में छपी बाईबल में ईसाइयों के भगवान के लिए अल्लाह शब्द का इस्तेमाल मलेशिया संघीय राज्य बनने से कहीं पहले से हो रहा है .
हालांकि कुछ मुस्लिम समूहों के अनुसार ईसाई ' अल्लाह' का उपयोग मुसलमानों को ईसाई धर्म की ओर आकर्षित करने के लिए भी करते हैं .बीबीसी संवाददाता के अनुसार सोमवार को अदालती फ़ैसले के अवसर पर कमरहٔ अदालत के बाहर 100 से अधिक मुसलमान इकट्ठे थे जिन्होंने फैसला आने के बाद खुशी से नारे और बैनर लहराई जिन पर लिखा था कि शब्द ' अल्लाह ' केवल इस्लाम के लिए आरक्षित है .गौरतलब है कि मलेशिया में पचास प्रतिशत से अधिक आबादी मुसलमानों की है जबकि देश में बसे चीन और भारत से संबंध रखने वाले लोगों की संख्या ईसाई , हिंदू धर्म और बौध धर्म के मानने वेल है.

बचपन से हम लोग यही सुनते आ रहे है के अल्लाह, भगवान, गॉड सब एक है जिस नाम से भी पुकारो. समझ मे नही आ रहा है के मलेशिया की अदालत ने ऐसा फैसला क्यो दिया जिस के करण पूरे जग मे मुसलमानो की बदनामी हो रही है. इस से मुसलमानो की संकीर्ण सोच दर्शाता है. अगर ऐसा ही रहा तो कुछ लोग ये भी अपील करना शुरु कर दे गे के पूरे दुनिया मे सिर्फ इस्लाम ही धर्म रहना चाहिये, बाकी धर्मो का वजूद ही नही होना चाहिये. ऐसा भी हो सकता है के कोई अदालत फैसला दे दे के जमीन, आसमान, पानी, हवा इसे अल्लाह ने बनाया है इस लिये इस का उपयोग सिर्फ मुसलमान ही करे गे. आज के इस दौर मे इस तरह के फैसले नही आने चाहिये और इस फैसले को पूरे मुसलमान और इस्लामिक मुल्को को इस की निन्दा करनी चाहिये.


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