अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में के. आर. नारायणन की इस
प्रतिक्रिया को बीजेपी वाले बड़ी बेशर्मी से हजम कर गए और अब
भारत रत्न मांग रहे हैं।
'गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों को शासन और प्रशासन से शह
मिली थी। मैंने इस संबंध में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को कई
चिट्ठी लिखी। खुद मुलाकात कर इस मसले पर बात की, लेकिन अटल
बिहारी वाजपेयी ने कुछ नहीं किया।
मैंने वाजपेयी से गुजरात में सेना भेजने की गुज़ारिश
की ताकि दंगा रोका जा सके। सेना भेजने का संवैधानिक अधिकार केंद्र
सरकार के ही पास होता है, अगर राज्य इसकी मांग करे।
सेना भेजी भी गई, लेकिन उसे गोली मारने का अधिकार नहीं दिया गया।
अगर सेना के पास दंगाइयों को गोली मारने की शक्ति होती तो गुजरात
में हुए हादसे को टाला जा सकता था। लेकिन राज्य और केंद्र सरकार
ने ऐसा नहीं किया। गोली मारने का आदेश जारी होने पर गुजरात में बड़े
पैमाने पर हुई तबाही रुक सकती थी। मुझे महसूस होता है कि गुजरात
दंगे केंद्र और राज्य सरकार के षडयंत्र का नतीजा हैं।'
के आर नारायणन, पूर्व राष्ट्रपति
प्रतिक्रिया को बीजेपी वाले बड़ी बेशर्मी से हजम कर गए और अब
भारत रत्न मांग रहे हैं।
'गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों को शासन और प्रशासन से शह
मिली थी। मैंने इस संबंध में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को कई
चिट्ठी लिखी। खुद मुलाकात कर इस मसले पर बात की, लेकिन अटल
बिहारी वाजपेयी ने कुछ नहीं किया।
मैंने वाजपेयी से गुजरात में सेना भेजने की गुज़ारिश
की ताकि दंगा रोका जा सके। सेना भेजने का संवैधानिक अधिकार केंद्र
सरकार के ही पास होता है, अगर राज्य इसकी मांग करे।
सेना भेजी भी गई, लेकिन उसे गोली मारने का अधिकार नहीं दिया गया।
अगर सेना के पास दंगाइयों को गोली मारने की शक्ति होती तो गुजरात
में हुए हादसे को टाला जा सकता था। लेकिन राज्य और केंद्र सरकार
ने ऐसा नहीं किया। गोली मारने का आदेश जारी होने पर गुजरात में बड़े
पैमाने पर हुई तबाही रुक सकती थी। मुझे महसूस होता है कि गुजरात
दंगे केंद्र और राज्य सरकार के षडयंत्र का नतीजा हैं।'
के आर नारायणन, पूर्व राष्ट्रपति
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