इस्लाम के खिलाफ़ हज़ारों किताबें
लिखी जा चुकी हैं, सैकड़ों वेबसाइट चल रही हैं, न
जाने कितने फेसबुक पेज हैं जो दिन भर इस्लाम के
खिलाफ़ पोस्ट करते रहते हैं|
हजारों लोगों को इस्लाम के खिलाफ़ लिखने के
पैसे दिए जाते हैं, लाखों डॉलर इस्लाम के
दुष्प्रचार में खर्च किए जाते हैं|
ये सब जो मेहनत की जाती है अगर इस 50%
मेहनत भी किसी दुसरे धर्म के खिलाफ़
की जाती तो शायद उसका नामो-निशान इस
दुनिया से मिट जाता|
लेकिन ये इस्लाम है, इसे इस दुनिया और हम सब
इंसानों को बनाने वाले अल्लाह की मद्द है|
इसी लिए इतने विरोध और षणयंत्र के बाद
भी इस्लाम बढ़ रहा है और रोज़ न जाने कितने
लोग इस्लाम क़ुबूल कर रहे हैं|
सोचो भाइयों सोचो क्या यही काफ़ी नहीं की आप
थोड़ा खुले दिमाग से सोचें और सही धर्म
को पहचाने|
अल्लामा इकबाल ने
सही फ़रमाया अपनी शायरी में..
“तौहीद की अमानत सीनों में हैं हमारे..
आसान नहीं मिटाना, नमो-निशां हमारा..”
लिखी जा चुकी हैं, सैकड़ों वेबसाइट चल रही हैं, न
जाने कितने फेसबुक पेज हैं जो दिन भर इस्लाम के
खिलाफ़ पोस्ट करते रहते हैं|
हजारों लोगों को इस्लाम के खिलाफ़ लिखने के
पैसे दिए जाते हैं, लाखों डॉलर इस्लाम के
दुष्प्रचार में खर्च किए जाते हैं|
ये सब जो मेहनत की जाती है अगर इस 50%
मेहनत भी किसी दुसरे धर्म के खिलाफ़
की जाती तो शायद उसका नामो-निशान इस
दुनिया से मिट जाता|
लेकिन ये इस्लाम है, इसे इस दुनिया और हम सब
इंसानों को बनाने वाले अल्लाह की मद्द है|
इसी लिए इतने विरोध और षणयंत्र के बाद
भी इस्लाम बढ़ रहा है और रोज़ न जाने कितने
लोग इस्लाम क़ुबूल कर रहे हैं|
सोचो भाइयों सोचो क्या यही काफ़ी नहीं की आप
थोड़ा खुले दिमाग से सोचें और सही धर्म
को पहचाने|
अल्लामा इकबाल ने
सही फ़रमाया अपनी शायरी में..
“तौहीद की अमानत सीनों में हैं हमारे..
आसान नहीं मिटाना, नमो-निशां हमारा..”
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