सीता
की विवाह केवल 6 वर्ष की आयु में हुई थी..‘सीता जी की आयु 6 वर्ष थी‘, जो
लोग बाल्मीकि रामायणको प्रमाण मानते हैं वे इस तथ्य को झुठला नहीं
सकते।दुहिता जनकस्याहं मैथिलस्य
महात्मनः।। 3 ।।सीता नाम्नास्मि भद्रं ते रामस्य महिषी प्रिया ।।‘ब्रह्मन ! आपका भला हो। मैं मिथिला नरेश जनक की पुत्री औरअवध नरेश श्री रामचन्द्र जी की प्यारी रानी हूँ| मेरा नाम सीता है‘।। 3 ।।
उषित्वा द्वादश समा इक्ष्वाकूणां निवेशने ।। 4 ।। भुन्जाना मानुषान् भोगान् सर्व काम समृद्धिनी ।।‘विवाह के बाद बारह वर्षों तक इक्ष्वाकुवंशी महाराज दशरथ के महल में रहकर मैंने अपने पति के साथ सभी मानवोचित भोग भोगेहैं। मैं वहां सदा मनोवांछित सुख-सुविधाओं से सम्पन्न रही हूं‘।।4 ।।तत्र त्रयोदशे वर्षे राजातन्त्रयत प्रभुः।। 5 ।। अभिषेचयितुं रामं समेतो राजमन्त्रिभिः ।।‘तेरहवें वर्ष के प्रारम्भ में सामर्थ्यशाली महाराज दशरथ ने राज मन्त्रियों से मिलकर सलाह की और श्रीरामचन्द्रजी का युवराज पद पर अभिषेक करने का निश्चय किया‘ ।। 5 ।।मम भर्ता महातेजा वयसा पञ्चविंशकः ।। 10 ।।अष्टादश हि वर्षाणि मम जन्मनि गण्यते ।।‘उस समय मेरे महातेजस्वी पति की अवस्था पच्चीस साल सेऊपर की थी और मेरे जन्मकाल से ले कर वन गमन काल तक मेरी अवस्था वर्ष गणना के अनुसारअठारह साल की हो गयी थी ।। 10 ।।
श्रीमद्ब बाल्मीकी य रामायणे, अरण्यकाण्डे,सप्तचत्वारिंशः सर्गः,पृष्ठ 598, सं. 2051 तेरहवां संस्करण,मूल्य पैंतालीस रूपयेअनुवादक-साहित्याचार्य पाण्डेय पं. रामनारायण दत्तशास्त्री ‘राम‘प्रकाशक - गीता प्रेस , गोरखपुर,
रामायण के मूल श्लोक और उनका अनुवादआपके सामने रख दिये गये हैं। आप खुद फ़ैसला कर सकते हैं। कवि ने क्यों सीता जी को विवाह के समय 6 वर्षका दिखाना ज़रूरी समझा, इस विषय पर मैंअपना नज़रिया बाद में रखूंगा।दुख होता है यह देखकर कि जो लोग रामायण के ब्लॉग चला रहे हैं उन्हें भी सही तथ्यका ज्ञान नहीं है या फिर दूसरे लोगों को भ्रम में डाले रखने के लिए खुदको अनभिज्ञ दिखाते हैं।रामचन्द्र जी का असली चरित्र रमणीय और आदर्शही होना चाहिये, ऐसा मेरा मानना है।बौद्धिक जागरण के इस काल में तर्क को परंपरा का हवाला देकर नज़रअंदाज़नहीं किया जा सकता। रामचन्द्र जी के चरित्र को सामने लाने केलिए देश की रामकथाओं के साथ साथ मलेशिया आदि विदेशों मेंप्रचलित रामकथाओं पर भी नज़र
डालना ज़रूरी है।यदि ऐसा किया जाए तो सच भी सामने आएगा,रामकथा का व्यापक प्रभाव भी नज़र आएगा औरहो सकता हैकि श्री रामचन्द्र जी का वास्तविकजन्म स्थानवर्तमानअयोध्या के
अलावा कोई और जगह निकले,तब राम मंदिर-बाबरी मस्जिद
विवाद भी स्वतः ही हल हो जाएगा। सच से मानवता का कल्याण होगा। सच कड़वा होता है तब भी इसे ग्रहण करना चाहिये क्योंकि सच हितकारी होता है,
महात्मनः।। 3 ।।सीता नाम्नास्मि भद्रं ते रामस्य महिषी प्रिया ।।‘ब्रह्मन ! आपका भला हो। मैं मिथिला नरेश जनक की पुत्री औरअवध नरेश श्री रामचन्द्र जी की प्यारी रानी हूँ| मेरा नाम सीता है‘।। 3 ।।
उषित्वा द्वादश समा इक्ष्वाकूणां निवेशने ।। 4 ।। भुन्जाना मानुषान् भोगान् सर्व काम समृद्धिनी ।।‘विवाह के बाद बारह वर्षों तक इक्ष्वाकुवंशी महाराज दशरथ के महल में रहकर मैंने अपने पति के साथ सभी मानवोचित भोग भोगेहैं। मैं वहां सदा मनोवांछित सुख-सुविधाओं से सम्पन्न रही हूं‘।।4 ।।तत्र त्रयोदशे वर्षे राजातन्त्रयत प्रभुः।। 5 ।। अभिषेचयितुं रामं समेतो राजमन्त्रिभिः ।।‘तेरहवें वर्ष के प्रारम्भ में सामर्थ्यशाली महाराज दशरथ ने राज मन्त्रियों से मिलकर सलाह की और श्रीरामचन्द्रजी का युवराज पद पर अभिषेक करने का निश्चय किया‘ ।। 5 ।।मम भर्ता महातेजा वयसा पञ्चविंशकः ।। 10 ।।अष्टादश हि वर्षाणि मम जन्मनि गण्यते ।।‘उस समय मेरे महातेजस्वी पति की अवस्था पच्चीस साल सेऊपर की थी और मेरे जन्मकाल से ले कर वन गमन काल तक मेरी अवस्था वर्ष गणना के अनुसारअठारह साल की हो गयी थी ।। 10 ।।
श्रीमद्ब बाल्मीकी य रामायणे, अरण्यकाण्डे,सप्तचत्वारिंशः सर्गः,पृष्ठ 598, सं. 2051 तेरहवां संस्करण,मूल्य पैंतालीस रूपयेअनुवादक-साहित्याचार्य पाण्डेय पं. रामनारायण दत्तशास्त्री ‘राम‘प्रकाशक - गीता प्रेस , गोरखपुर,
रामायण के मूल श्लोक और उनका अनुवादआपके सामने रख दिये गये हैं। आप खुद फ़ैसला कर सकते हैं। कवि ने क्यों सीता जी को विवाह के समय 6 वर्षका दिखाना ज़रूरी समझा, इस विषय पर मैंअपना नज़रिया बाद में रखूंगा।दुख होता है यह देखकर कि जो लोग रामायण के ब्लॉग चला रहे हैं उन्हें भी सही तथ्यका ज्ञान नहीं है या फिर दूसरे लोगों को भ्रम में डाले रखने के लिए खुदको अनभिज्ञ दिखाते हैं।रामचन्द्र जी का असली चरित्र रमणीय और आदर्शही होना चाहिये, ऐसा मेरा मानना है।बौद्धिक जागरण के इस काल में तर्क को परंपरा का हवाला देकर नज़रअंदाज़नहीं किया जा सकता। रामचन्द्र जी के चरित्र को सामने लाने केलिए देश की रामकथाओं के साथ साथ मलेशिया आदि विदेशों मेंप्रचलित रामकथाओं पर भी नज़र
डालना ज़रूरी है।यदि ऐसा किया जाए तो सच भी सामने आएगा,रामकथा का व्यापक प्रभाव भी नज़र आएगा औरहो सकता हैकि श्री रामचन्द्र जी का वास्तविकजन्म स्थानवर्तमानअयोध्या के
अलावा कोई और जगह निकले,तब राम मंदिर-बाबरी मस्जिद
विवाद भी स्वतः ही हल हो जाएगा। सच से मानवता का कल्याण होगा। सच कड़वा होता है तब भी इसे ग्रहण करना चाहिये क्योंकि सच हितकारी होता है,
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