<<<मिर्ज़ा
गुलाम अहमद क़ादियानी EXPOSED>>> दोस्तो मिर्ज़ा गुलाम अहमद
क़ादियानी का नाम तो आप ने सुना ही होगा। गुलाम कादियानी अंग्रेज़ो के ज़माने
मे हिन्दुस्तान के कादियान गाँव मे पैदा हुआ और इसने इस्लामी अक़ाएद की
धज्जियाँ उड़ा दीँ| इसके बारे मे इतना ही
कह देना काफी है कि यह अंग्रेज़ो का दल्ला था और इसका काम मुसलमानो को
बाँटना था इसने अंग्रेज़ो के इशारे पर मुसलमानो को खूब बहकाया और उन्हे
अंग्रेज़ो से जिहाद करने से रोका। मैने सुना है कि इसने अपने आपको मुसलमानो
का पैगम्बर घोषित कर दिया अपनी बीवी का नाम आयशा रखा और अपने घर का नाम
मस्जिद नबवी रखा। सवाल यह पैदा होता है कि मुसलमान तो खत्मे नबूवत पर
अकीदा रखते है तो फिर इस मलऊन के बहकावे मे कैसे आ गये? इसकी वजह यह थी कि
बहुत से मुसलमानो का यह अकीदा था कि हज़रत इमाम मेहदी (रह अ) 13 वी सदी
हिजरी मे दुनिया मे तशरीफ लाएंगे तो कुछ मुसलमानो ने इसे हज़रत मेहदी (रह अ)
समझ लिया कुछ ईसाइयो ने इसे मसीहा मानकर इसे अपना पैगम्बर माना व हिन्दुओ
ने इसे अवतार मानकर इसका धर्म अपनाया। इस तरह कम इल्मी की वजह से अपने आप
को मुसलमान कहने वाले एक नए मज़हब का जन्म हुआ। इसके मानने वाले अपने आप
को अहमदी भी कहते हैँ और इस नाम से भी सबको बहकाते हैँ| इसलिए मुसलमानो को
इल्म हासिल करना बेहद ज़रुरी है और फर्ज़ है ताकि कोई उनको गुमराह न कर सके।
हम कादियानी मज़हब के अलावा सब मुसलमानो को इत्तेहाद की दावत देते है और
कादियानियो को मुसलमान समझते ही नही क्योकि जो हमारे नबी (स अ व) को आखिरी
पैगम्बर ही न माने तो वो मुसलमान कैसा
No comments:
Post a Comment