Thursday, 21 November 2013

Sanghi Kutte ..


<<<इस्लाम और धर्म प्रचार>>> संघियो को इस्लाम का प्रचार करने पर बहुत आपत्ति है वह कहते है कि इसी इस्लाम की वजह से भारत तरक्की नही कर पा रहा| इनके धर्म प्रचार पर रोक लगनी चाहिए| फिर वो जापान का उदाहरण देते हुए कहते है कि वहाँ धर्म प्रचार करना प्रतिबन्धित है व वहाँ किसी दूसरे देश की संस्क्रति अपनाना सख्त मना है इसलिए वो ऐसा अद्भुत विकास कर रहा है| इसपर मेरा कहना यह है कि हमारा मकसद किसी पर जबरदस्ती इस्लाम थोपना नही है बल्कि हमारा मकसद इस्लाम के बारे मे लोगो को बताना है यह मुसलमानो की ज़िम्मेदारी है उसके बाद चाहे कोई मुसलमान बने या न बने उनपर कोई दबाव नही है क्योकि कुरान करीम मे आया है "ला इकराह फिद्दीन" (quran para 3) मतलब दीन मे कोई जोर जबरदस्ती नही है| इस्लाम कभी तरक्की का विरोथ नही करता अगर ऐसा होता कि इस्लाम फैलने से गरीबी पैदा होती तो अरब देशो मे तरक्की नही होती| सऊदी अरब के गरीब बद्दू और कबीलाई लोग इस्लाम फैलने के बाद तरक्की नही करते| जहाँ तक जापान मे धर्म प्रचार और संस्कऱति का सवाल है तो आज के साइंस और टेक्नोलाजी के दौर मे धर्म प्रचार के बहुत से माध्यम (इंटरनेट ब्लागिँग व सोशल नेटवर्क) है जिसके ज़रिए जापान मे प्रतिबन्ध के बावजूद बहुत से लोग इस्लाम की ओर आकर्षित हो रहे हैँ| बहुत से लोगो को मैने ऐसा कहते सुना है कि इस्लाम का धर्म प्रचार बहुत हुआ है लेकिन हिन्दू धर्म का प्रचार कभी नही हुआ अगर इसका प्रचार इस्लाम धर्म की तरह हो जाए तो यह धर्म पूरे विश्व मे छा जाएगा| ऐसा सोचने वालो से मै कहना चाहुंगा कि कौन धर्म ऐसा है जिसका प्रचार न हुआ हो बौध्थ धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, इनके प्रचार के बारे मे तो सब जानते हैँ दूसरी तरफ यहूदी व इसाई मिशनरियो के धर्म प्रचार के बारे मे सबको पता है लेकिन जो लोग कहते है कि हिन्दू धर्म का प्रचार नही हुआ उन्हे शायद पता नही कि हिन्दू धर्म का प्रचार बहुत से महात्माओ और साधुओ ने किया है| मै ज़्यादा उदाहरण तो नही दे पाउंगा लेकिन एक नाम बता रहा हूँ महात्मा अगत्स्य का मैने पढ़ा है कि इन्होने अपने पृरे जीवन मे देश विदेश मे हिन्दू धर्म का प्रचार किया और इनके जन्म का उद्देश्य ही हिन्दू धर्म का प्रचार प्रसार करना था| अब मुसलमानो को अनपढ़ और जाहिल कहने वाले ऐसा बोलना छोड़ देँ कि हिन्दू धर्म का प्रचार नही हुआ और जाकर फिर से कक्षा 8 तक की किताबे आँखे खोलकर पढ़ेँ|

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